नवरात्रि के पहले दिन क्यों की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा जानें

नवरात्रि के आरंभ में प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा उपासना की जाती है। मां शैलपुत्री की शक्तियां अनन्त हैं।

नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री मां की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री को हिमालयराज पर्वत की बेटी कहा जाता है। आइए जानें क्या है कथा और मंत्र।

कथा

पौराणिक कथा  के अनुसार एक बार प्रजापति दक्ष (सती के पिता) ने यज्ञ के दौरान सभी देवताओं को आमंत्रित किया।उन्होंने भगवान शिव और सती को निमंत्रण नहीं भेजा। लेकिन सती बिना निमंत्रण भी यज्ञ में जाने को तैयार थी। ऐसे में भगवान शिव ने उन्हें समझाया कि बिना निमंत्रण यज्ञ में जाना ठीक नहीं। लेकिन सती नहीं मानी तो भगवान शिव ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी।

सती पिता के यहां बिना निमंत्रण पहुंच गई और उन्हें वहां बिना बुलाए मेहमान वाला व्यवहार ही झेलना पड़ा। उनकी माता के अलावा सती से किसी ने भी सही से बात नहीं की। बहनें भी यज्ञ में उपहास उड़ाती रहीं। इस तरह का कठोर  व्यवहार और अपने पति का अपमान वे बर्दाश नहीं कर सकीं और क्रोधित हो गईं और इसी क्षोभ, ग्लानि और क्रोध में आकर उन्होंने खुद को यज्ञ में भस्म कर दिया।
जैसे ही ये समाचार भगवान शिव को मिला उन्होंने अपने गणों को दक्ष के भेजा और उनके यहां चल रहा यज्ञ विध्वंस करा दिया। अगले जन्म में उन्होंने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया इन्हें उन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।

इन मंत्रों का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माता को क्या पसंद है

माता को सफेद रंग अतिप्रिय है, इसलिए उन्हें सफेद वस्त्र और सफेद मिठाई का ही भोग लगाया जाता है।

 

 

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