जानिए क्या है प्रोनिंग, होम आइसोलेशन में रहने वाले रोगियों के लिए कितनी है उपयोगी
मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है, तो वह प्रोनिंग विधि ट्राई कर सकता है।
देशभर में ऑक्सीजन की भारी कमी के चलते कई मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। इन हालात में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सांस लेने में जिन मरीज़ों को तकलीफ़ हो रही है, उनके लिए ‘प्रोनिंग’ के कुछ आसान तरीके सुझाए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोविड-19 मरीज जो होम आइसोलेशन में हैं, उन्हें सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि रोगी को सांस लेने में कठिनाई होती है, तो वह प्रोनिंग विधि ट्राई कर सकता है। क्योंकि होम आइसोलेशन में रहने वाले रोगियों के लिए प्रोनिंग बहुत उपयोगी साबित हो रही है। इससे आईसीयू में रहने वाले मरीजों में बेहतर परिणाम आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो सलाह जारी की है उसे ‘प्रोनिंग फ़ॉर सेल्फ़ केयर’ नाम दिया गया है। प्रोनिंग प्रक्रिया से कोरोना के मरीज़ों को अपना ऑक्सीजन लेवल सुधारने में काफी मदद मिल सकती है। तो आइए जानते हैं कि क्या प्रोनिंग प्रक्रिया और इसे कैसे किया जाता है –
क्या है ‘प्रोनिंग’
ट्विटर पर स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी इस गाइड में बताया गया है कि सही तरीक़े से लेटकर गहरी सांस लेने की प्रक्रिया को ‘प्रोनिंग’ कहते हैं।इससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने में सहायता मिलती है।
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गाइड में कहा गया है कि यह ख़ास तौर पर उन कोविड मरीज़ों के लिए ‘अति लाभदायक’ है जो अपने घर में आइसोलेशन में हैं और उन्हें सांस लेने में तकलीफ़ हो रही है या जिनका ऑक्सीजन का स्तर कम हो रहा है.इस गाइड के मुताबिक़, प्रोनिंग विधि का प्रयोग तभी करना चाहिए, जब मरीज़ को सांस लेने में दिक़्क़त हो रही हो और उसका ऑक्सीजन का स्तर 94 से नीचे चला गया हो। सलाह दी गई है कि होम आइसोलेशन के दौरान ऑक्सीजन का स्तर, ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और शरीर का तापमान लगातार मापते रहना चाहिए। गाइड में कहा गया है कि सही समय पर प्रोनिंग यानी विशेष तरीक़े से लेटने की विधि अपनाने से कई जानें बच सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, यह तकनीक 80 प्रतिशत तक कारगर है। यह प्रक्रिया मेडिकली स्वीकार्य है, जिसमें सांस लेने में सुधार होता है और ऑक्सीजन लेवल में सपोर्ट मिलता है। प्रोन पोज़ीशन पूरी तरह सुरक्षित है और इससे ख़ून में ऑक्सीजन लेवल के बिगड़ने पर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इससे आईसीयू में भी भर्ती मरीज़ों में भी अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। वेंटिलेटर नहीं मिलने की स्थिति में यह प्रक्रिया सबसे अधिक कारगर है.
पेट के बल लेटने पर ज़ोर
इसमें खास ज़ोर पेट के बल लेटने पर दिया गया है। इस विधि में तकियों का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है, सुझाव है कि एक तकिया गरदन के नीचे, एक या दो तकिया सीने से नीचे से लेकर जांघ तक और और दो तकिए के ऊपर पैरों को रखना चाहिए। इसके लिए चार-पांच तकियों की ज़रूरत होती है। तकिए का मोटा या पतला होना लोग अपनी पसंद के अनुसार चुन सकते हैं। बताया गया है कि बीच-बीच में पोज़ीशन बदलते रहना चाहिए और किसी भी अवस्था में 30 मिनट से अधिक नहीं लेटना चाहिए।
प्रोनिंग करने की सही विधि
1 – चित्र में दिये गये तरीके के अनुसार फ्लैट बेड पर पेट के बल लेटकर सिर के नीचे एक तकिया लगाएं। इसके अलावा एक या दो तकिए छाती और ऊपरी जांघ के बीच लगाएं। दो तकिए पंजों के नीचे लगाएं और 30 मिनट तक इस पोजिशन में लेंटे।
2 – दूसरी पोजिशन में दाईं करवट लेकर हाथ को सिर के नीचे कुछ ऐसे रखना है कि वही तकिए की तरह बन जाए। इस अवस्था में 30 मिनट तक लेंटे।
3 – तीसरी पोजिशन में सीधे बैठते हुए शरीर को पीछे की ओर झुकाते हुए 30 मिनट तक लगभग 120 डिग्री तक रखें। इस दौरान दोनों पैर आपस में सटे होने चाहिए।
4 – चौथी पोजिशन में बाईं करवट लेकर हाथ को सिर के नीचे कुछ ऐसे रखना है कि वही तकिए की तरह बन जाए। इस अवस्था में 30 मिनट तक लेंटे।
5 – पांचवी पोजिशन में फिर से प्रोनिंग की अवस्था में आ जायें और 30 मिनट तक लेटे रहें।
ध्यान रखें
प्रोनिंग की पोजिशन के बारे में सरकारी गाइडलाइन में जो बताया गया है, उसके मुताबिक बीच-बीच में पोजिशन बदलती रहनी चाहिए और एक ही अवस्था में 30 मिनट से ज्यादा नहीं रहना चाहिए। 24 घंटे में इसी तरह अलग-अलग पोजीशन में 16 घंटे तक प्रोनिंग कर सकते हैं।
कब ‘प्रोनिंग’ नहीं करनी चाहिए
किन स्थितियों में प्रोनिंग नहीं करनी चाहिए इसके बारे में भी बताया गया है-
1 – गर्भावस्था में या दिल की बीमारियों के मामले में इसका इस्तेमाल न करें, ज़बरदस्ती न करें, उतनी ही देर तक करें जितना आराम से कर सकते हों।
2 – खाने के तुरंत बाद न करें।
3 – 24 घंटे में अलग अलग पोजीशन में 16 घंटे तक प्रोनिंग कर सकते हैं।
4 – अगर एक खास अवस्था में लेटे-लेटे दर्द होने लगे तो शरीर के उस हिस्से पर पड़ने वाले दबाव को कम करने के लिए तकिए को अपनी सुविधा के हिसाब से एडजस्ट करते रहें।