आठवें दिन करें मां महागौरी की पूजा, पढ़े ये मंत्र और ऐसे करें कन्या पूजन

चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन महाअष्टमी या दुर्गा अष्टमी के नाम से जाना जाता है। महाअष्टमी पर महागौरी की पूजा की जाती है।

चैत्र नवरात्रि की अष्टमी की तिथि में मां महागौरी की पूजा की जाती है। नवरात्रि में महागौरी की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।मान्यता है कि मां महागौरी की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है। महागौरी की पूजा करने से मन शांत और शुद्ध होता है। नकारात्मक विचारों से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही मां की पूजा करने से बल और बुद्धि का भी विकास होता है।

अष्टमी का महत्व

अष्टमी तिथि पर विधि-विधान से पूजा करने से मां दुर्गा की कृपा से सुख, समृद्धि, यश, कीर्ति, विजय, आरोग्यता प्राप्त होती है। अष्टमी तिथि पर आदिशक्ति मां दुर्गा पूजा करने से सभी कष्ट मिट जाते हैं और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती। यह तिथि परम कल्याणकारी और दुखों का नाश करने वाली है।

पूजा विधि

नवरात्रि में अष्टमी तिथि को मां महागौरी की विधि विधान से पूजा करें औ उन्हें सुहाग का सामना और लाल चुनरी चढ़ाएं। इस दिन हवन करने का भी प्रावधान है, यदि स्वयं कर सकते हैं तो ठीक है या फिर किसी योग्य पंडित से हवन करवाएं और हवन में आहुतियां दें। इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। रात की रानी के पुष्प का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि ये फूल माता को अधिक पसंद है। माता को चौकी पर स्थापित करने से पहले गंगाजल से स्थान को पवित्र करें तथा चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें। मां महागौरी की सप्तशती मंत्रों से पूजा करनी चाहिए।

मंत्र

श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:.
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददो.
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
ओम महागौरिये: नम:.

महागौरी का बीजमंत्र

सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके.
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते

नवरात्रि के अष्टमी के दिन कन्या पूजन करने की विधि

महाअष्टमी के दिन देवी मां की पूजा के साथ ही कुमारियों को भोजन कराया जाता है। भोजन में पूड़ी , चने और मीठा हलुआ खिलने की परम्परा है । कुमारियों को यथेष्ट भोजन कराने के बाद कुछ दक्षिणा देकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।

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