नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की उपासना, जानें कथा
नवरात्रि के चौथे दिन कुष्मांडा देवी की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं मां कुष्मांडा देवी की कथा के बारे में।
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है और इस दिन मां के इस रूप की विशेष पूजा का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि देवी के हाथ में जो अमृत कलश होता है उससे वह अपने भक्तों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करती# हैं। मां कुष्मांडा के बारे में यह भी मान्यता है कि वह सिंह की सवारी करती हैं जो धर्म का प्रतीक है। पूरे विधि-विधान से पूजा करने के बाद मां कुष्मांडा के मंत्रों का जाप किया जाए तो वह बेहद प्रसन्न होती है और भक्तों को मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।
मां कुष्मांडा की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार मां कुष्मांडा का अर्थ होता है कुम्हड़ा। मां दुर्गा असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करने के लिए कुष्मांडा का अवतार लिया था। मान्यता है कि देवी कुष्मांडा ने पूरे ब्रह्माण्ड की रचना की थी। पूजा के दौरान कुम्हड़े की बलि देने की भी परंपरा है। इसके पीछे मान्यता है ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और पूजा सफल होती है।
मां कूष्मांडा का भोग
माता को इस दिन मालपुआ का प्रसाद चढ़ाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही आज के दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन व वस्त्र भेट करने से धन की वृद्धि होती है।