Deepika Padukone: दीपिका-रणवीर के घर आई नन्ही परी, रणवीर की पूरी हुई मुराद
रणवीर और दीपिका के घर शादी के करीब छह साल बाद किलकारी गूंजी है.अभिनेत्री दीपिका पादुकोण मां बन गई हैं.उन्होंने बिटिया को जन्म दिया है.
बॉलीवुड के स्टार कपल दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह पेरेंट्स बन गए हैं.दीपिका को 7 सितंबर शनिवार को मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद 8 सितंबर रविवार को उन्होंने प्यारी-सी बेटी को जन्म दिया है. जैसे ही इस गुड न्यूज का पता चला, कपल के लिए फैंस की ओर से बधाइयों का तांता लग गया. पेरेंट्स बनने के बाद रणवीर और दीपिका ने पहला पोस्ट शेयर किया है.
https://www.instagram.com/deepikapadukone?igsh=MTR5YmI1bmpqYW1lcQ==
सोशल मीडिया पर प्रेग्नेंसी अनाउंस
इस साल 28 फरवरी को सोशल मीडिया पर दीपिका ने अपनी प्रेग्नेंसी अनाउंस की थी. उन्होंने एक पोस्ट शेयर कर लिखा था कि वे सितंबर 2024 में बच्चे को जन्म देंगी.
डिलीवरी से पहले लिया बप्पा का आशीर्वाद
इससे पहले 6 सितंबर शुक्रवार दोपहर दीपिका पति रणवीर सिंह के साथ सिद्धिविनायक मंदिर दर्शन करने पहुंचीं.इस दौरान जहां दीपिका को ग्रीन साड़ी में देखा गया, वहीं रणवीर कुर्ते-पजामा में नजर आए. इस खास मौके पर दोनों की फैमिलीज भी मौजूद रहीं.
प्रेग्नेंसी फोटोशूट कराया
हाल ही में दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह ने इंस्टाग्राम अकाउंट पर प्रेग्नेंसी फोटोशूट की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कीं. इन फोटोज को शेयर करते हुए दीपिका ने एक तरह से उन लोगों को भी जवाब दे दिया है जो उनकी प्रेग्नेंसी को फेक बता रहे थे. तस्वीरों में दीपिका प्रेगनेंसी के ग्लो के साथ और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थीं. जबकि रणवीर सिंह के चेहरे की खुशी भी देखने लायक थी.
दीपिका जैसी ही बेटी चाहिए
रणवीर सिंह ने कुछ समय पहले द बिग पिक्चर शो के प्रमोशनल शूट के दौरान हुए मीडिया इंट्रेक्शन में उन्होंने कहा था, कि जैसा की आप लोग जानते हैं मेरी शादी हो गई है और अब 2-3 साल में बच्चे भी होंगे. भाईसाहब, आपकी भाभी (दीपिका) इतनी क्यूट बेबी थी ना, मैं कहता हूं कि भगवान मुझे एक ऐसी (बेटी) दे दे, बस मेरी लाइफ सेट हो जाए. मैं नामों को शॉर्टलिस्ट कर रहा हूं.”
भगवान जो भी चाहेंगे, वह तो होकर ही रहेगा
वर्ष 2022 में रणवीर सिंह की फिल्म ‘जयेशभाई जोरदार’ के ट्रेलर लॉन्च इवेंट में रणवीर सिंह ने कहा था, ‘भगवान जो भी चाहेंगे, वह तो होकर ही रहेगा. मेरे चाहने न चाहने से कुछ नहीं होगा. जब हम मंदिर जाते हैं, तो प्रसाद में लड्डू मिलेगा या पेड़ा, यह हम तय नहीं कर सकते. बिल्कुल यही लॉजिक बच्चों के साथ भी अप्लाई होता है, इसलिए जैसा ऊपर वाला चाहेंगे उसे प्रसाद समझ कर खुश रहूंगा’.