छोटे परदे से निकल कर कैसे राजनीति के शिखर पर पहुंची घर-घर की तुलसी स्मृति ईरानी

छोटे परदे की इस कलाकार ने सिर्फ टीवी जगत में ही नहीं बल्कि राजनीति गलियारे में अपनी पहचान कुछ ऐसी बनाई कि भारतीय राजनीति में आज जाना माना नाम बन गया है।

एक समय था जब स्मृति कोई नहीं जानता था। पर वो कहते हैं ना कि किस्मत कब पलट जाए कहा नहीं जा सकता। जी हां, ऐसा ही कुछ हुआ स्मृति ईरानी के साथ, जिनको पहचान मिली सिर्फ एक टीवी सीरियल से। उस समय स्मृति को भी नहीं पता था कि एक सीरियल उनकी पूरी लाइफ को बदल कर रख देगा। छोटे परदे की इस कलाकार ने सिर्फ टीवी जगत में ही नहीं बल्कि राजनीति गलियारे में अपनी पहचान कुछ ऐसी बनाई कि भारतीय राजनीति में आज जाना माना नाम बन गया है।
इस समय स्मृति ईरानी मोदी सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री है। आखिर कैसे स्मृति ईरानी ने टीवी जगत की दुनिया से राजनीति का अपना ये सफर शुरू किया इसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

स्मृति ईरानी का बचपन

स्मृति ईरानी का जन्म 23 मार्च 1976 में दिल्ली के पंजाबी परिवार में हुआ था। पिता अजय कुमार मल्होत्रा पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते थे ,मां शिबानी एक बंगाली परिवार से थी। तीन बहनों में स्मृति ईरानी सबसे बड़ी हैं। दिल्ली में पढ़ाई के साथ-साथ उनकी रुचि स्पोर्ट्स में भी थीं। इसलिए वो अपने स्कूल के स्पोटर्स टीम की कैप्टन हुआ करती थीं। 10वीं की परीक्षा पास करने के बाद ही स्मृति ने अपने पिता की मदद करने के लिए कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था।

मिस इंडिया कॉन्टेस्ट में लिया हिस्सा

स्मृति ईरानी अपने सपनों को पूरा करने के लिए दिल्ली शहर को छोड़ मुंबई शहर में 1990 के दशक में आ गई। मुंबई में स्मृति ने 1998 में फेमिना मिस इंडिया प्रतियोगिता में भाग लिया. हालांकि वो इस प्रतियोगिता को जीत नहीं पाई, मगर उन्होंने अपनी जगह बना ली। इसके बाद स्मृति ने एक्टिंग की दुनिया में किस्मत आजमाने की कोशिश की। पर ये सफर भी स्मृति के लिए इतना आसन नहीं था। कुछ दिनों तक जब स्मृति को एक्टिंग में काम नहीं मिला तो अपना खर्च चलाने के लिए उन्होंने एक रेस्टोरेंट में भी काम किया। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने अपने करियर के शुरुवाती दिनों में सिंगर मीका के एलबम में भी काम किया।

बनीं घर-घर की तुलसी

एलबम के बाद स्मृति को एक-दो सीरियल में छोटे – मोटे रोल भी मिले। लेकिन स्मृति ईरानी को सही पहचान एकता कपूर के सीरियल ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ से मिली। सीरियल में स्मृति ने तुलसी का किरदार निभाया था। ये सीरियल लोगों द्वारा बेहद ही पसंद किया गया था। तुलसी बनकर स्मृति हर घर में छा गईं, एक आदर्श बहू के रूप में उनको इतना पसंद किया जाने लगा कि लोग इस सीरियल के दीवाने हो गए। इस सीरियल ने टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, तुलसी के किरदार और इस सीरियल की कामयाबी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये सीरियल साल 2000 से 2008 तक छोटे पर्दे पर छाया रहा ।
इस सीरियल के अलावा स्मृति ईरानी ने ओर भी कई सारे सीरियल में अपना अभिनय दिखाया है। जैसे ‘क्या हादसा क्या हकीकत’, ‘रामायण’, ‘मेरे अपने’ और इत्यादि। इतना ही नहीं उन्होंने रंगमंच की दुनिया से लेकर बंगाली, हिंदी और तेलुगू भाषा की कुछ फिल्मों में भी काम किया है।

जुबिन ईरानी से हुई शादी

इस सीरियल में आठ सालों के दौरान जहां तुलसी की जिंदगी बदल रही थी, वहीं असल जिंदगी में भी स्मृति की जिंदगी में कई बदलाव आ रहे थे। इसी दौरान स्मृति ने 2001 में अपने बचपन के दोस्त जुबिन ईरानी से विवाह करके स्मृति मलहोत्रा स्मृति ईरानी बन गईं। शादी के बाद स्मृति ने दो बच्चों को जन्म दिया। बेटे का नाम जोहर है और बेटी का नाम ज़ोईश है।

मिले कई अवार्ड्स

‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सीरियल के लिए स्मृति को कुल नौ पुरस्कार मिल चुके हैं। इतना ही नहीं उनके एक और सीरियल “विरुद्ध” के लिए उन्हें बेस्ट अभिनेत्री का पुरस्कार 2010 में दिया गया था।

राजनीति करियर

स्मृति ईरानी ने साल 2003 में अपने राजनीति में कदम रखा। स्मृति ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की और दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, वो कांग्रेस के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल से हार गईं। 2004 में उन्हें महाराष्ट्र यूथ विंग का उपाध्यक्ष बनाया गया, उन्हें पार्टी ने पांच बार केंद्रीय समीति के कार्यकारी सदस्य के रुप में मनोनीत किया और राष्ट्रीय सचिव के रूप में भी नियुक्त किया। 2011 में वो गुजरात से राज्यसभा की सांसद चुनी गई, इसी साल इनको हिमाचल प्रदेश में महिला मोर्चे की भी कमान सौंप दी गई।
2014 का लोकसभा चुनाव स्मृति ने राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी संसदीय सीट से लड़ा और उन्हें कड़ी चुनौती दी, हालांकि स्मृति ये चुनाव हार गईं। मगर बीजेपी इस चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई। नरेंद्र मोदी प्रधान मंत्री बने और मोदी सरकार में स्मृति ईरानी को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री बनाया गया। हालांकि कुछ विवादों के बाद उनका विभाग बदल दिया गया। 2019 का लोक सभा चुनाव स्मृति के लिए किसी टर्निंग प्वाइंट से कम नहीं था। बीजेपी ने स्मृति ईरानी को अमेठी से एक बार फिर राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में उतारा। इस बार स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को लोक सभा चुनाव में पटकनी दी और कांग्रेस की परंपरागत सीट राहुल गांधी से छीन बीजेपी की झोली में डाल दी। इस जीत से स्मृति ईरानी का राजनीति करियर शिखर पर पहुंच गया। वो ना सिर्फ बीजेपी में एक मजबूत नेता के तौर पर उभरी बल्कि नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र मंत्रियों की लिस्ट में शामिल हो गईं।

 

 

 

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