Mahashivratri 2021: पढ़िए महाशिवरात्रि की व्रत कथा
महाशिवरात्रि के दिन भक्त भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने के साथ ही महाशिवरात्रि की कथा सुनते हैं। इस मौके पर श्रद्धालु व्रत रखते हैं और मंदिर जाकर शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।
किसी समय वाराणसी के जंगल में एक भील रहता था। उसका नाम गुरुद्रुह था। वह जंगली जानवरों का शिकार कर अपना परिवार पालता था। एक बार शिवरात्रि पर वह शिकार करने वन में गया। उस दिन उसे दिनभर कोई शिकार नहीं मिला और रात भी हो गई। तभी वो झील के किनारे पेड़ पर ये सोचकर चढ़ गया कि कोई भी जानवर पानी पीने आएगा तो शिकार कर लूंगा। वो पेड़ बिल्ववृक्ष था और उसके नीचे शिवलिंग स्थापित था। वहां एक हिरनी आई। शिकारी ने उसको मारने के लिए धनुष पर तीर चढ़ाया तो बिल्ववृक्ष के पत्ते और जल शिवलिंग पर गिरे। इस प्रकार रात के पहले प्रहर में अनजाने में ही उसके द्वारा शिवलिंग की पूजा हो गई। हिरनी भी भाग गई।
थोड़ी देर बाद एक और हिरनी झील के पास आ गई। शिकारी ने उसे देखकर फिर से अपने धनुष पर तीर चढ़ाया। इस बार भी रात के दूसरे प्रहर में बिल्ववृक्ष के पत्ते व जल शिवलिंग पर गिरे और शिवलिंग की पूजा हो गई। वो हिरनी भी भाग गई।इसके बाद उसी परिवार का एक हिरण वहां आया इस बार भी वही सब हुआ और तीसरे प्रहर में भी शिवलिंग की पूजा हो गई। वो हिरण भी भाग गया। फिर हिरण अपने झुंड के साथ वहां पानी पीने आया सबको एक साथ देखकर शिकारी बड़ा खुश हुआ और उसने फिर से अपने धनुष पर बाण चढ़ाया, जिससे चौथे प्रहर में पुन: शिवलिंग की पूजा हो गई।
इस तरह शिकारी दिनभर भूखा-प्यासा रहकर रात भर जागता रहा और चारों प्रहर अनजाने में ही उससे शिवजी की पूजा हो गई, जिससे शिवरात्रि का व्रत पूरा हो गया। इस व्रत के प्रभाव से उसके पाप भस्म हो गए और पुण्य उदय होते ही उसने हिरनों को मारने का विचार छोड़ दिया। तभी शिवलिंग से भगवान शंकर प्रकट हुए और उन्होंने शिकारी को वरदान दिया कि त्रेतायुग में भगवान राम तुम्हारे घर आएंगे और तुम्हारे साथ मित्रता करेंगे। तुम्हें मोक्ष भी मिलेगा। इस प्रकार अनजाने में किए गए शिवरात्रि व्रत से भगवान शंकर ने शिकारी को मोक्ष प्रदान कर दिया।